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 सबसे अहम मुद्दा है, महिला सुरक्षा, हर कोई बोलता है, लेडिस फर्स्ट,लेडिस फर्स्ट, लेडिस फर्स्ट लेकिन लेडिस फर्स्ट बोलने से महिलाएं सुरक्षित है,एक सवाल आपसे, आपकी मां से आपकी बहनों से, इस समाज से,

सवाल= संविधान में बदलाव करने से, महिलाएं सुरक्षित हैं क्या??

आए दिन बलात्कार जैसी घटना देखने और सुनने को मिलती है, जब कभी किसी महिला, लड़की, बच्ची के साथ बलात्कार जैसी घटना घटती है तो हम, आप और लोग कुछ झंडा ले लेंगे और मस्त कुर्ता कपड़ा पहनकर एक पम्पलेट ले लेंगे और उसपे उसका नाम लिखेंगे और बोलेंगे इंसाफ दो और 30 मिनिट में सब अपने अपने घर चलें जाएंगे, क्या आपने कभी सोचा है कि आपके इस मोमबत्ती (कैंडल) मोर्चे से उस लड़की का कुछ भला हुआ आप तो कहेंगे कि हमने मोर्चा निकाला और (FIR) प्रथम सूचना रिपोर्ट तो करवा दिया, हा ये सच है कि आपने मोर्चा निकाला जो भी किया अहसान किया आपको पता है उस पीड़ा को वो लड़की, औरत और बच्ची ही समझ पाती है समाज उसे किस नजर से देखता है शायद ये भी आपको नहीं पता होगा क्यों कि ये आपसे साथ आपकी बच्ची के साथ आपकी बहन के साथ नहीं हुआ है और नहीं होना चाहिए, महिलाएं समाज का खिलौना नहीं की कोई भी खेले और चला जाए नहीं ऐसे संगीन जुर्म का शिकार होने से अगर अपनी बहन बेटियों को बचाना है तो हमे कुछ करना होगा, आज सोशल मीडिया का जमाना है आपका एक शेयर एक लाइक आपकी बहन बेटियों को सुरक्षा प्रदान करेगी, अब आते है मुद्दे पे सरकार को प्रत्येक स्कूल चाहे वो सरकारी हो चाहे वो निजी (प्रायवेट) सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए पहला क्लास (1st क्लास) से निःशुल्क (फ्री) में कराटे क्लास (सेल्फ डिफेंस) अनिवार्य होना चाहिए, जिससे लड़की हमउम्र (जवान)  होने तक ब्लैक बेल्ट सीख चुकी रहेगी, जिससे कभी रात हो या दिन दुनिया के किसी भी कोने में भी दस  (10) अराजक लोगो का सामना आराम से बिना डरे कर सकेगी तब होगी लेडिस फर्स्ट, वही लड़की पुलिस जवान में भर्ती होगी तो, आज एक महिला पुलिस हमारे सामने आती है तो क्या हम डरते है नहीं क्यों कि पता है वो महिला है हमारा कुछ नहीं कर सकती, लेकिन जब वो कराटे चैंपियन रहेगी तो 10 (दस) लोगों को आराम से समझा सकती है, इसे कहते है लेडिस फर्स्ट, फिर वही लड़की आर्मी जवान में गई तो घटनास्थल पर अगर बुलेट खत्म हो गया तो वो वहां भी 10 (दस) आतंकियों से निपटने में जरा भी संकोच नहीं करेगी, ये होता है लेडिस फर्स्ट, वहीं लड़की शादी के बाद अपने घर गई जरूरी नहीं कि हर कोई दारू शराब पीने के बाद मारता पीटता हो लेकिन कई मामले ऐसे भी है कि पति ने दारू के नशे में अपनी पत्नी को मारा तो अगर कही ऐसी समस्या आती है तो वो वहां भी सुरक्षित रह सकती है चाहे वो मामला दहेज उत्पीड़न का ही क्यों न हो, ये होता है लेडिस फर्स्ट, हमारी सरकार कर रही है बहुत अच्छा कर रही है मगर (NCRB) राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बलात्कार जैसे आंकड़ों पे कुछ और कह रही, आखिर कबतक अगर मेरी पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर करना ये मेरी अपनी सोच है अगर सरकार इस मामले पे विचार करे तो क्या ये नहीं हो सकता, फिर से पूछ रहा हु

नारी शसक्तीकरण 

संविधान में बदलाव करने से, महिलाएं सुरक्षित हैं क्या??

नीरज शर्मा 
संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष 
PEOPLE'S CHOICE FOUNDATION 
"Voice Of The Common Man"

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